शुक्र है अल्लाह का
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
बख्श दी तुने जिसे तेरी हम्दो -सना .
मुझ पे अल्लाह तेरा खूब एहसान है .
याद रखु तेरे जो भी फरमान है ,
सबके दिल में बसाऊ जो कुरान हँi.
जाकर उनको पदाऊ जो नादाँ है .
मेरे अल्लाह मुझे इसके काबिल बना .
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
जिस तरह दूर रखा मुझे कुफ्र से .
जोड़े रखा मुझे तुने गोरो -फिक्र से .
ये सही है बचाया तुने ही शिर्क से .
जोडू में सबको वैसे ही तेरे ज़िक्र से .
दे दे मुझको हिदायत तू बे -इन्तहा .
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
था अँधेरा बहुत रौशनी थी नहीं .
जी रहा था मगर ज़िन्दगी थी नहीं .
मेरे पेरो के नीचे ज़मी थी नहीं .
सजदा करता में वैसी ज़बी थी नहीं .
ऐसे में तूने कुरान अता कर दिया .
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
तेरे कुरान ने ही आँख खोली मेरी ,
आखिर तुने ही भरी खली झोली मेरी .
एक दिन बोलेगी दुनिया भी बोली मेरी .
बड जाएगी जब मुमिनो की टोली मेरी .
मेरे जैसा ही हर शख्श होगा यहाँ .
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
जानता हु की छोटा सा तिनका हु में .
तेरी खल्कात में भी सबसे नन्हा हु में .
बस इधर से उधर उड़ता रहता हु में .
जोर तुझसे ही पाकर के चलता हु में .
में हु कुछ भी नहीं सब करम है तेरा .
कर रहा शुक्रिया तेरा ये मुस्तफा .
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