सुन मेरी इतेजा !
कामयाबी की कोई राह दिखला तो दे
शुक्रिया करने का एक मौक़ा तो दे ।
में जो फिरता रहा हूँ यहाँ दर बदर
कोई सुनता नहीं
मुझको ज्यादा नहीं सिर्फ थोडा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
तू है खालिक तेरे सब पर एहसान है
ये सुना है की तू बड़ा मेहरबान है
समंदर न सही एक कतरा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
तेरे जाहो जलाली तो मशहूर है
तेरी रहमत बता हम से क्यों दूर हैं
गर खता है कोई तू आइना तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
ज़िन्दगी हो गयी करते करते दुआ
बीता बचपन जवानी अब में बुदा हुआ
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
ये सही है तेरे हाथो में दौर है
तेरी अंगुली पें नाचे हम तो वो मोर है
चल सके हम ज़रा इतना धागा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
है यहाँ पर अँधेरा एक शमा भी नहीं
तेरे सूरज तक मेरा पहुचना भी नहीं
तितिमता दिया एक नन्हा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
है ये दरिया तेरा तेरी ही नाउ है
ये ज़मी है तेरी तेरी ही छाव है
दे कही भी मगर तू आसरा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
तू ज़माने को देता है किलकारियां
तेरी राह पर चले उनको दुश्वारियां
राज इतना सा आरिफ को समझा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
दे रहा हु सदा सुन मेरी इल्तेजा
तू ने इंसा बनाया तेरा शुक्रिया
मेरे हाथो में भी एक झंडा तो दे
शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।
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