डर के आगे जीत है
डरना सीखो अल्लाह से ,
जीत तुम्हारी होगी .
हर चलन यहाँ तुम्हारा होगा ,
हर रीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
खोफे खुदा नहीं रहा तो ,
घाटे में रह जाओगे .
राहे खुदा ही छोड़ दी तो ,
कैसे उस तक जाओगे .
दुनिया के माया जाल में ,
इस क़दर उलझते जाओगे .
उससे नाता नहीं रहेगा ,
और न प्रीत तुम्हारी होगी .
डर रखो अल्लाह का ,
जीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
अल्लाह से डरना सीखलो,
बातें मेरी मानकर .
सीधी राह बताते हैं ,
उसके सारे पैग़म्बर .
आओ चल पड़े हम सब ,
उनकी बताई राह पर .
अल्लाह की मर्जी से जुडोगे,
उससे सच्ची प्रीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
दुनियादारी के चक्कर में ,
भूल गए जो राहे खुदा .
हो गया उससे तुम्हारा ,
रास्ता ही अगर जुदा .
तोड़ दिया दुनिया में ही ,
जो तुमने उससे वास्ता .
फिर कभी हरगिज़ न उससे ,
प्रीत तुम्हारी होगी .
डर रखो अल्लाह का ,
जीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
नेक बंदो करलो तुम ,
आज यहाँ पर अच्छे काम .
अच्छे का अच्छा मिलेगा ,
बुरे का बुरा होगा अंजाम .
आज ही संभल जाओ दोस्तों ,
आने ही वाली है शाम .
संभल गए तो फिर यकीनन ,
जीत तुम्हरी होगी .
डर रखो अल्लाह का ,
जीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
हर पल हर एक सांस का ,
देना होगा हिसाब तुम्हे .
कर्मो की हाथो में तुम्हारे ,
जब देगा वो किताब तुम्हे .
या तो जन्नत पाओगे तुम ,
या फिर घेरेगा अज़ाब तुम्हे .
फिर बात तुम्हारी नहीं चलेगी ,
और ना रीत तुम्हारी होगी .
डर रखो अल्लाह का ,
जीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
याद रखो बंदो एक दिन ,
सबको लौटकर जाना है .
आमालो का यकीनन अपने ,
हिसाब किताब चुकाना है .
इस दुनिया के बाद की दुनिया ,
ही आखरी ठिकाना है .
या तो वहा पर हारोगे ,
या जीत तुम्हारी होगी .
डर रखो अल्लाह का ,
जीत तुम्हारी होगी .
यही आज का गीत है .
डर के आगे जीत है .
पंडित मुस्तफा आरिफ