बुधवार, 7 अप्रैल 2010

Quran se prerna


वारीजवानुम मिनल्लाहे अकबर .
अपने दिल पर लगालो ये मुहर. 
सबसे बड़ी नियामत है मुमिनो, 
अल्लाह की मर्जी ही हम पर.  


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हम आदमी को जानते है चेहरों के मुताबिक.
इज्ज़त भी बख्शते हैं हम ओहदों के मुताबिक. 

अल्लाह से बड़ा तो कोई नहीं होता,
यही सच है कुरान की आयातों के मुताबिक.



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जोहर का वक़्त है नमाज़ अदा करनी है.
फिर उसकी तरफ हमको निगाह करनी है.
जुमा का दिन है दुआ तो कुबूल होगी ही,
उसके करम की भी वह वाह वाह करनी है..