बुधवार, 30 दिसंबर 2009

सुन मेरी इल्तेजा !




सुन मेरी इतेजा !


कामयाबी की कोई राह दिखला तो दे

शुक्रिया करने का एक मौक़ा तो दे ।

में जो फिरता रहा हूँ यहाँ दर बदर

कोई सुनता नहीं कानो पर है बेहर

मुझको ज्यादा नहीं सिर्फ थोडा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

तू है खालिक तेरे सब पर एहसान है

ये सुना है की तू बड़ा मेहरबान है

समंदर न सही एक कतरा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

तेरे जाहो जलाली तो मशहूर है

तेरी रहमत बता हम से क्यों दूर हैं

गर खता है कोई तू आइना तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

ज़िन्दगी हो गयी करते करते दुआ

बीता बचपन जवानी अब में बुदा हुआ

लोट कर आ सकू इतनी दुनिया तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे

ये सही है तेरे हाथो में दौर है

तेरी अंगुली पें नाचे हम तो वो मोर है

चल सके हम ज़रा इतना धागा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

है यहाँ पर अँधेरा एक शमा भी नहीं

तेरे सूरज तक मेरा पहुचना भी नहीं

तितिमता दिया एक नन्हा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।


है ये दरिया तेरा तेरी ही नाउ है

ये ज़मी है तेरी तेरी ही छाव है

दे कही भी मगर तू आसरा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

तू ज़माने को देता है किलकारियां

तेरी राह पर चले उनको दुश्वारियां

राज इतना सा आरिफ को समझा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।

दे रहा हु सदा सुन मेरी इल्तेजा

तू ने इंसा बनाया तेरा शुक्रिया

मेरे हाथो में भी एक झंडा तो दे

शुक्रिया करने का एक मौका तो दे ।


सोमवार, 28 दिसंबर 2009

बेगुनाह हुसैन



बेगुनाह हुसैन 


अकबर अज़ान देंगे , सुबह आशुरा की आई
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

सूरज निकल गया है,
दिन भी नया नया है,
आशूर का बयां है,
अल्लाह का शुक्रिया है।

मेरी कलम को बख्सी, उसने जो रोशनाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

मैदाने कर्बला है,
खैमा लगा हुआ है,
कुम्बा यहाँ जमा है,
अल्लाह का आसरा है।

जेहरा के लाल को, नाना की याद आई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

पाकीज़ा सरज़मी है,
अल्लाह की हाजरी है,
शिकवा कोई नहीं है,
हर चेहरे पर खुशी है।

मंज़र कभी फिर ऐसा, देखोगे नहीं भाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

इस्लाम का है परचम,
है सब में पूरा दम ख़म,
सबरो रजा भी बाहम,
देखेगा सारा आलम।

क्या क्या नसीब लेकर, देखे ये घड़ी आई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

प्यारे नबी के प्यारे,
जेहरा के भी दुलारे,
हैदर अली के तारे,
हाँ हाँ हुसैन हमारे।

आज हम हुसैन की भी, देखेंगे करिश्माई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

अकबर की वो जवानी,
मासूम की कहानी,
जैनब की वो बयानी,
वो बूंद बूंद पानी।

आँखों से टपकता है, जब आती है रुलाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

उठो अज़दारो,
मातम के तरफ दारो,
अल्लाह के वफादारों,
इस जौर से पुकारो।

वो आसमा भी सोचे, कैसी ये सदा आई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

जब होती है विलादत,
बढती है दिल में चाहत,
पाकर नायाब दौलत,
मिलती है हमको राहत।


खुश होते यहाँ मरकर, सब बच्चे बूड़े भाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

प्यारी इन्हें शहादत,
अल्लाह से है मोहब्बत,
पाने के लिए जन्नत,
अब मोल लेंगे आफत।

दांतों तले है अंगुली, देखी जो चतुराई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

मर कर अमर रंहेंगे,
सारे कहर सहेंगे,
चुपचाप ही रहेंगे,
मुंह से कुछ कहेंगे।

अल्लाह की मर्जी इनको, कैसी है रास आई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

प्यासे लबो को पानी मिलने के नहीं इम्काँ,
यहाँ प्यासे ही रहेंगे ये तीन दिन के महमा,
ऐसा नहीं यहाँ पर कोई नहीं है दरिया,
लेकिन नसीब में ही इनके नहीं है जरिया।

मातम करो हुसैनियो, कैसी मुसीबत आई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई
]
मकतल में शौर बरपा,
कोई प्यास से है तडपा,
मासूम कोई प्यासा,
झूले से है पुकारा।

देखो किसीने उसको, सुखी ज़बा चटाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

अल्लाह से दूर जाये तो होती है यजीदी,
पानी जो पिलाए तो होती है यजीदी,
मासूमो को रुलाये तो होती है यजीदी,
माँ बहनों को सताए तो होती है यजीदी।

हुसैन बेगुनाही, यजीदियत गुनाही।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

दुनिया को ये पता है,
हुसैन बेगुनाह है,
मैदाने कर्बला है,
और साथ में खुदा है।

जन्नत के दर पे इनको, क़र्बल की हवा लाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

हिम्मत है होंसला है,
जज्बा है और वफ़ा है,
कोई कहता नैनवा है,
कोई कहता कर्बला है।

लश्कर है ७२ का, और साथ है वफाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

हुसैन शहनशा की,
अब्बास बावफा की,
ये फ़ौज है अल्लाह की,
अली शेरे खुदा की।

वो खुद करेंगे इनकी, अब हौंसला अफजाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

आयेंगी फ़ातेमा भी,
आयेंगे मुस्तफा भी,
चाहते है वों यहाँ भी,
चलती रहे अजा भी

रहे आखेरत तक बाक़ी, अल्लाह की दुहाई।
आई अज़ान आई , आई अज़ान आई

नोट- अज़ादारने हुसैन की नज़र है ये बेगुनाह हुसैन का पहला भाग। आगे और कितने पार्ट पेश होंगे अल्लाह ही बेहतर जनता है। इसलिए दुआ करे की सारी दुनिया का पानी स्याही बन जाये और में ताकयामत लिखता रहूँ- आमीन.